Madhya Pradesh: People’s struggle to save Mahan forest in Singrauli

August 12, 2014

Dear All,
People’s struggle to save Mahan forest in Singrauli is deepening day by day. A recent announcement by dist. Collector to organize a gram sabha in just one of the 54 affected villages brought a new twist. The gram sabha is proposed between 16th to 23rd August 2014.

Like minded organizations in Singrauli have formed a common platform & are struggling to prevent any injustice towards peasant & tribal families. On 9th August 2014, on the “Quit India Movement Day” we organized a press conference & clearly stated our below written demands.

1- Officials involved in previous fake Gram Sabha should not be allowed to participate. Instead an FIR be lodged against them immediately.

2- Gram Sabhas should be organized in all 54 villages that will be affected if Mahan coal project is started. Also , before organizing such gram sabhas, a proper distribution of community forest right be made.

3- All gram sabhas be video-graphed. Proceedings in such gram sabhas be supervised by civil society groups, along with govt. officials.

It is decided that a full scale campaign be organized in Mahan forest area so that any act of intimidation or temptation by administration/ Essar may be curbed.

The press conference got carried by all news papers & several news websites.

Regards!
Ekta.
Kisan Adivasi Visthapit Ekta Manch
Singrauli, Madhya Pradesh.
08225935599.

प्रेस विज्ञप्ति

आज दिनांक 09 अगस्त 2014 को सी0पी0एम0 के कार्यालय में दिन 11 बजे से एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। ‘महान वन क्षेत्र’ में चल रहे संघर्षों को समर्थन देने के उद्देश्य से यह प्रेस वार्ता की गई। 09 अगस्त 1942 को हमारे देश के क्रन्तिकारियों ने अंग्रेजो भारत छोड़ो के आन्दोलन की शुरूआत की थी। इस दिन का चुनाव संकेतिक रूप से आजादी की दुसरी लड़ाई के रूप में किया गया है जिसमें संगठनों ने संयुक्त रूप से कम्पनी और प्रशासन के अन्यायकारी गठजोड़ से सिंगरौली की जनता को मुक्त कराने का संघर्ष शुरू किया।

प्रेस वार्ता में लोकविद्या जन आन्दोलन, उर्जान्चल विस्थापित एवं कामगार युनियन (ऐटक), किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, अमृता सेवा संस्थान, ह्युमन वल्ड आदि संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

लोकविद्या जन आन्दोलन के कार्यकता श्री रवि शेखर ने कहा कि लोकविद्या जन आन्दोलन बहुत पहले से ही यह बात करता आ रहा है कि बिचली के उत्पादन के पहले बिजली के वितरण की नीति तय होनी चाहिए। बिजली का आॅडिट होना चाहिए और पर कैपिटा बिजली कितनी हो इसकी नीति बननी चाहिए। इसके बाद ही किसी नये बिजली संयत्र को अनुमति मिलनी चाहिए वरना देश मरूस्थल में बदल जायेगा और हम फिर भी तय नही कर पायेगें की अभी और कितनी बिजली चाहिए इस ‘विकास’ के लिए।

उर्जान्चल विस्थापित एवं कामगार युनियन (ऐटक) के श्री संजय नामदेव ने कहा कि फर्जी ग्राम सभा के दोषियों पर उचित कार्यवाही होनी चाहिए तथा ग्राम सभा मात्र अमीलिया में न करके 54 गांव जो इससे प्रभावित होने जा रहे है को भी ध्यान में रखना चाहिए। कोयला और पानी की प्रचूरता सिंगरौली परिक्षेत्र में पिछले 40 वर्षों से एक अभिशाप बनी हुई है। बिजली पैदा करने का व्यापार करने वाले लोगों ने इन 40 वर्षों में स्थानीय लोकविद्याधारी समाज से उनका काम छीन कर उन्हे अपनी कम्पनी का मजदूर बना लिया है। खेती, वनोपज, जडी़बूटी, संस्कृति, कला, आदि से समृद्ध यहां का समाज आज जबरदस्त गैर बराबरी से जुझ रहा है। एक ओर लाखों-करोड़ो कमाने वाले लोग है वहीं दुसरी ओर जिन्दा रहने के लिए 16 से 18 घण्टे रोजाना खटने वाले लोग जिनकी दिहाड़ी भी अक्सर प्रशासन और कम्पनियों के गठजोड़ से घोटाले का शिकार बन जाती हैं।

किसान सभा (सी0पी0एम0) के जिला अध्यक्ष श्री रामेश्वर सिंह ने कहा कि विद्यालय, अच्छी चिकित्सा व्यवस्था, अच्छी सड़क और आपस में सद्भावपूर्ण व्यवहार हम सबका जन्मसिद्ध अधिकार है। इनके एवज में कम्पनियों को अपनी जमीन देनेे वाले लोगों ने गलती की है। आने वाली ग्राम सभा की बैठक उन गलतियों को सुधारने का एक अच्छा मौका है। जमीन और जंगल देकर मिलने वाला विकास झुठा है। आज तक सिंगरौली ने बहुत बिजली बनाई और बहुत कोयला दिया। बदले में जो मिला वो सबके सामने है। 16 से 23 अगस्त 2014 के बीच अमीलिया में होने वाली ग्राम सभा महुवा, चार, चिरौजी, भेला, डोरी, आवला, तेंदु पत्ता, साफ पानी के साथ साथ पुरे स्थानीय समाज की खुशहाली और बरबादी के बीच एक को चुनने के लिए बुलाई गई है। महान का जंगल पर्यावरण और ग्रामीण रोजगारपरक है इसलिए इसे बचाना अति आवश्यक है।

किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच की सदस्य एकता ने कहा कि जिला कलेक्टर द्वारा 16 से 23 अगस्त 2014 के बीच किसी एक दिन महान वन क्षेत्र में शामिल 54 गांवों में से सिर्फ एक गांव, अमीलिया, में ग्राम सभा का आयोजन करने की घोषणा की गई है। इस ग्राम सभा को आनन फानन में आयोजित कर स्थानीय किसान आदिवासी समाजों के भविष्य का फैसला करने का षड़यंत्र है। इसी ग्राम सभा से यह तय करने की कोशिश है कि महान वन क्षेत्र के विभिन्न समाज सिंगरौली के तमाम अन्य ग्रामीण समाजों की तरह विकास के नाम पर उजाड़ दिये जायेंगे या फिर वर्षों से चलती आई शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व और आपसी सहभागितायुक्त विकास की परम्परा को आगे बढ़ायेंगे। जबकि, महान वन क्षेत्र के सभी 54 गांवों में सामुदायिक वनाधिकार पट्टे के न्यायपूर्ण वितरण एवं इसके बाद सभी गांवो में अलग अलग ग्रामसभा आयोजित किये बगैर महान वनक्षेत्र के रहवासियों के भविष्य का फैसला असम्भव है, अन्यायपूर्ण है।

श्री संजय नामदेव ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया की सभी संगठन वार्ता के बाद संयुक्त रूप से पर्चे का वितरण करेगें और जनता से इस संघर्ष में शामिल होने का आह्वान करेगें।

द्वारा जारी
लोकविद्या जन आन्दोलन, उर्जान्चल विस्थापित एवं कामगार युनियन (ऐटक), किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, अमृता सेवा संस्थान, ह्युमन वल्ड ।

इस अवसर पर निम्न पर्चा जारी किया गया

दूसरी आजादी के संघर्ष का आह्वान

साथियों,
आज सिंगरौली जिला पूर्ण रूप से औद्योगिक जिला हो गया है। जहां कि अकूत खनिज सम्पदा सामान्य जन जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण बना दिया गया है। सिंगरौली के सामान्य लोगों के जीवन की अपेक्षा कम्पनियों और बड़े शहरों में बैठे बड़े पैसे वाले लोगों के जीवन को महत्वपूर्ण समझा जा रहा है और इसीलिए जिले की एक एक ईन्च जमीन छीनी जा रही है। जिले में विकास और रोजगार के नाम पर आई इन देशी विदेशी कम्पनियों ने जमीन और रोजगार तो किसान आदिवासी जनता का छीना है जबकि पहले से ही अमीर और अंग्रेजी और कम्प्युटर का काम जानने वालों को नौकरियां दी हैं। अपनी विद्या के बल पर अपना और समाज का काम बनाने वाली मेहनतकश स्थानीय जनता को विस्थापन, बेरोजगारी, प्रदूषित पर्यावरण, लाईलाज बिमारियों के अलावा कुछ भी नही मिल सका।

जिला कलेक्टर द्वारा 16 से 23 अगस्त 2014 के बीच किसी एक दिन महान वन क्षेत्र में शामिल 54 गांवों में से सिर्फ एक गांव, अमीलिया, में ग्राम सभा का आयोजन करने की घोषणा की गई है। इस ग्राम सभा को आनन फानन में आयोजित कर स्थानीय किसान आदिवासी समाजों के भविष्य का फैसला करने का षड़यंत्र है। इसी ग्राम सभा से यह तय करने की कोशिश है कि महान वन क्षेत्र के विभिन्न समाज सिंगरौली के तमाम अन्य ग्रामीण समाजों की तरह विकास के नाम पर उजाड़ दिये जायेंगे या फिर वर्षों से चलती आई शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व और आपसी सहभागितायुक्त विकास की परम्परा को आगे बढ़ायेंगे। जबकि, महान वन क्षेत्र के सभी 54 गांवों में सामुदायिक वनाधिकार पट्टे के न्यायपूर्ण वितरण एवं इसके बाद सभी गांवो में अलग अलग ग्रामसभा आयोजित किये बगैर महान वनक्षेत्र के रहवासियों के भविष्य का फैसला असम्भव है, अन्यायपूर्ण है।

कोयला और पानी की प्रचूरता सिंगरौली परिक्षेत्र में पिछले 40 वर्षों से एक अभिशाप बनी हुई है। बिजली पैदा करने का व्यापार करने वाले लोगों ने इन 40 वर्षों में स्थानीय लोकविद्याधारी समाज से उनका काम छीन कर उन्हे अपनी कम्पनी का मजदूर बना लिया है। खेती, वनोपज, जडी़बूटी, संस्कृति, कला, आदि से समृद्ध यहां का समाज आज जबरदस्त गैर बराबरी से जुझ रहा है। एक ओर लाखों-करोड़ो कमाने वाले लोग है वहीं दुसरी ओर जिन्दा रहने के लिए 16 से 18 घण्टे रोजाना खटने वाले लोग जिनकी दिहाड़ी भी अक्सर प्रशासन और कम्पनियों के गठजोड़ से घोटाले का शिकार बन जाती हैं।

साथियों, विद्यालय, अच्छी चिकित्सा व्यवस्था, अच्छी सड़क और आपस में सद्भावपूर्ण व्यवहार हम सबका जन्मसिद्ध अधिकार है। इनके एवज में कम्पनियों को अपनी जमीन देनेे वाले लोगों ने गलती की है। आने वाली ग्राम सभा की बैठक उन गलतियों को सुधारने का एक अच्छा मौका है। जमीन और जंगल देकर मिलने वाला विकास झुठा है। आज तक सिंगरौली ने बहुत बिजली बनाई और बहुत कोयला दिया। बदले में जो मिला वो सबके सामने है। 16 से 23 अगस्त 2014 के बीच अमीलिया में होने वाली ग्राम सभा महुवा, चार, चिरौजी, भेला, डोरी, आवला, तेंदु पत्ता, साफ पानी के साथ साथ पुरे स्थानीय समाज की खुशहाली और बरबादी के बीच एक को चुनने के लिए बुलाई गई है। हम जिले के नागरिक, जन संगठन मिलकर आप सबसे बिना डरे और बिना किसी लालच के ग्राम सभा में शामिल होने और मतदान करने की विनती करते हैं। आपका भयमुक्त और लालच रहित मतदान हम सबके लिए दूसरी आजादी का संघर्ष है जिसमें सिंगरौली की अमन पसन्द और न्याय की समर्थक जनता हर कदम पर आपके साथ है।

निवेदक- लोकविद्या जन आन्दोलन, उर्जान्चल विस्थापित एवं कामगार युनियन (ऐटक), किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, अमृता सेवा संस्थान, महान संघर्ष समिति।
सम्पर्क- 8225935599, 7354129535, 9425051778