Samajwadi Party government completes a year of false promises, feudality and communalism

March 19, 2013

RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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वादाखिलाफ, सांप्रदायिक-सामंती सरकार को वजूद में रहने का अधिकार नहीं- रिहाई मंच अखिलेष सरकार में हुए दंगों की हो सीबीआई जांच- रिहाई मंच
आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाहों को न छोड़ना पड़ेगा महंगा- रिहाई मंच
रिहाई मंच सपा सरकार की सांप्रदायिक कारनामों पर जारी की रिपोर्ट

लखनऊ 16 मार्च 2013/

सपा सरकार के एक साल पूरे होने पर रिहाई मंच द्वारा यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में आयोजित सम्मेलन में सरकार को वादा खिलाफ सांप्रदायिक और सामंती करार दिया गया। इस दौरान मंच ने सपा सरकार के षासन में हुए दंगों में सरकारी मषीनरी की भूमिका पर ‘मुसलमानों को न सुरक्षा, न निश्पक्ष विवेचना न न्याय’ रिपोर्ट को जारी करते हुए प्रदेष सरकार द्वारा विधानसभा में तस्दीक किए गए 27 सांप्रदायिक दंगों की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए अवामी काॅउसिल के महासचिव व रिहाई मंच नेता असद हयात ने कहा कि पुलिस द्वारा दंगों से जुड़े मुकदमों की विवेचना निश्पक्षता पूर्वक नहीं की जा रही है। वरुण गांधी से संबधित मुकदमें में सरकारी वकील की भूमिका अभियोग पक्ष को मजबूत करने की न होकर बचाव पक्ष को लाभ पहुंचाने की रही। तो वहीं पिछले दिनों सीओ जियाउलहक की हत्या के बाद चर्चा में आए अस्थान प्रतापगढ़ सांप्रदायिक हिंसा में प्रवीण तोगडि़या के भड़काऊ भाशण देने और उसके नतीजे में उनकी मौजूदगी में मुसलमानों के घर लूटने और आगजनी की घटनाओं में उन्हें अभियुक्त नहीं बनाया गया। फैजाबाद,
कोसी कलां, अस्थान, बरेली, डासना, मसूरी समेत सभी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की जांच सीबीआई द्वारा कराया जाना इसलिए आवष्यक है क्योंकि इन दंगों में पुलिस स्वंय एक पक्षकार की भूमिका में रही है जो अपने ही विरुद्ध पाए जाने वाले सबूतों को न केवल मिटा रही है बल्कि गवाहों को भी प्रताडि़त कर निश्पक्ष जांच को प्रभावित कर रही है। कोसी कलां के खालिद और भदरसा फैजाबाद के सद्दू पर रासुका लगाना अन्यायपूर्ण है जिसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आरडी निमेश जांच आयोग की रिपोर्ट जारी न करने के खिलाफ वह कोर्ट जाएंगे।

रिहाई मंच के महासचिव व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआर दारापुरी ने कहा कि सपा सरकार में मुसलमानों, दलित-वंचित तबकों पर सामंती हमले बढ़े हैं। मुलायम सिंह ने जनता द्वारा पूर्ण बहुमत से भेजे जाने पर जनता को नए तरह का सामंती निजाम तोहफे में दिया है। इन तबकों पर होते जुल्म को देख कर ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेष सामंती युग में चला गया है जहां सरकार आम जनता के बजाय सामंती ताकतों के पक्ष में काम कर रही है।

आॅल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के नेता और इलाहाबाद विष्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष लालबहादुर सिंह ने कहा कि कुंडा के सीओ जियाउलहक की हत्या साबित करती है कि समाजिक न्याय के नाम पर वोटों की सौदागरी करने वाली सरकार रघुराज प्रताप सिंह जैसे सामंतों से लड़ने वालों को बर्दाष्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि सपा का अवसरवादी धर्मनिरपेक्षता मोदी के फासीवाद से नहीं लड़ सकता। ऐसे में जरुरी हो जाता है कि तमाम धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतें एक नए विकल्प की तैयारी करें।

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने सम्मेलन में अफजल गुरु द्वारा जेल से भेजे गए पत्र को पढ़ा जिसमें उन एसटीएफ और खुफिया विभाग के अधिकारियों का जिक्र था जिन्होंने उन्हें संसद हमले में फंसाया और फांसी तक पहुंचा दिया। उन्होंने आगाह किया कि अंधराश्ट्रवाद के नाम पर जिस तरह कांग्रेस भावनाओं को भड़का रही है वो देष के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

इंडियन नेषनल लीग के राश्ट्रीय अध्यक्ष व मुस्लिम मषावरत के महासचिव मो0सुलेमान ने कहा कि अब देष को सोनिया और मुलायम जैसे सांप्रदायिक और अमरीका के इषारे पर घुटने टेकने वाले लोगों के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि मषावरत दिसंबर में आतंकवाद के नाम पर निर्दोशों को फंसाने वाली राजनीत पर ष्वेतपत्र लाएगी। उन्होंने कहा कि इस ष्वेतपत्र से भाजपा समेत तमाम कथित सेक्युलर पार्टियां आवाम के बीच नंगी हो जाएंगी।

एपवा नेता ताहिरा हसन ने कहा कि एक गुंडा जिसको हर बार सपा सरकार जेल से निकालकर कभी जेल मंत्री बनाती है तो कभी हत्याओं की खुली छूट देती है वह न राजा है न भैया है। क्योंकि लोकतंत्र में न कोई राजा होता है न कोई ऐसा भाई होता है जो किसी बहन का सुहाग उजाड़ दे और जिसके गुंडे सरेआम बलात्कार करते हों। उन्होंने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चैथा स्तंभ है इसलिए उसे लोकतांत्रिक मूल्यों का परिचय देते हुए रघुराज प्रताप को राजा भैया न लिखे।

सम्मेलन में मौजूद आतंकवाद के नाम पर कैद लखनऊ के फरहान की बहन साइमा ने कहा कि सपा हुकूमत से उम्मीद थी की उनके भाई छूट जाएंगे, लेकिन बेगुनाहों को छोड़ने के अपने चुनावी वादे से मुकरने से उन जैसे तमाम परिवारों को निराषा हुई है, जिनके बच्चे बिना किसी जुल्म के आतंकवाद के मामले में बंद किए गए हैं। मौलाना मोहम्मद जमील ने कहा कि कुछ उलेमा और मुस्लिम नेता हुकूमत के इषारे पर बेगुनाहों को छुड़वाने के नाम पर जनता को गुमराह कर रहे हैं जिससे जनता को चैकन्ना रहना होगा।

राश्ट्रीय मुस्लिम संघर्श मोर्चा के नेता आफताब खान ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगे के विरोध में तमाम सिख सांसदों ने संसद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन 27 दंगे और बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर आजम खान और अहमद हसन जैसे तमाम नेताओं की जबान नहीं खुलती और वे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुलायम जैसे फिरकापरस्त के साथ चिपके रहते हैं। उन्होंने कहा कि सपा के तमाम मुस्लिम सांसदों और विधायकों को अवाम से यह बताना चाहिए कि इतना कुछ हो जाने के बावजूद वे सपा में क्यों बने हुए हैं।

रिहाई मंच इलाहाबाद के संयोजक राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि साल भर में तीन हजार बलात्कार, चार हजार हत्याएं और 27 दंगे कराने वाली सरकार ने प्रदेष में गुंडा राज ही नहीं मोदी राज भी कायम कर दिया है जिसे 2014 में जनता सबक सिखाएगी।

सम्मेलन की अध्यक्षता रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 षुएब ने की और संचालन रिहाई मंच आजमगढ़ के संयोजक मसीहुद्दीन संजरी ने किया।

सम्मेलन को सोषलिस्ट फ्रंट आॅफ इंडिया के प्रदेष अध्यक्ष मो आफाक, अनिल आजमी, मो आरिफ, जहांगीर आलम कासमी, मो0 समी, दिनेष सिंह, केके वत्स, रणधीर सिंह सुमन इत्यादि ने संबोधित किया।

सम्मेलन में बलबीर यादव, अबु जर, गुफरान, सै0 मोईद अहमद, आफताब, प्रबुद्ध गौतम, षुभांगी, आसमा, अंकित चैधरी, सीमा, संदीप दूबे, विवेक गुप्ता, सादिक, संजीव पांडे, समीना बानो, बाबी रमाकांत, इषहाक, बृजेष पांडे, षोभा, योगेन्द्र यादव, षाहनवाज आलम, राजीव यादव आदि सम्लित थे।

द्वारा जारी-
षाहनवाज आलम, राजीव यादव
9415254919, 9452800752
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